Alka Kaushik

Why I would never recommend you to buy Club Mahindra membership

आज फिर एक विज्ञापन मेरे इनबॉक्स में है, आज फिर एक लालच क्लब महिंद्रा ने जगाया है। और लालच है अपने जैसे किसी एक और मूर्ख, मुर्गे को क्लब महिंद्रा का मेंबर बना डालूंगी तो मेरी सालाना मेंटीनेंस फीस माफ। बीते दिनों लालच था एक आइफोन का। और इस घोर कलयुग में भी मेरा इतना ईमान तो बाकी है कि अपने किसी जानकार को, वो दोस्त-रिश्तेदार हो या न हो, क्लब महिंद्रा का मेंबर बनने के लिए बरगलाउंगी नहीं। सच तो यह है कि बीते सालों में जब भी किसी दोस्त ने सवाल किया “Should I buy a CM membership” मेरा सिरे से जवाब था – कतई नहीं!

मेरे सफरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल है क्लब महिंद्रा की मेंबरशिप। आज ही बीते तीन सालों का एएसएफ यानी 52 हजार रु की रकम भरी है और एक अदद मनपसंद हॉलीडे बुक कराने के हालात नहीं है। पूरे दो घंटे वेबसाइट पर और 19 मिनट 59 सेकंड टोल फ्री पर एग्ज़ीक्युटिव के साथ माथा फोड़ने के बाद मेरे हाथ सिर्फ एक वायदा आया है – सुपरवाइज़र से अगले 1 घंटे में कॉल कराने का!

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और सुपरवाइज़र की कॉल न आॅनी थी, न आयी। ये है क्लब महिंद्रा का सच। ढाई-तीन लाख का मोटा मेंबरशिप शुल्क आज से आठ साल पहले अदा करने और हर साल एक मोटी रकम एनुअल मेंटीनेंस फीस के नाम पर भरने (जो कि बीते तीन सालों में क्रमश: 16, 17 और इस बार 18 हजार तक पहुंच चुकी है) का नतीजा यह है कि मैं अपने परिवार के साथ मई-जून में कहीं वैकेशन पर नहीं जा सकती। क्योंकि क्लब महिंद्रा के जिस मेंबरशिप के झांसे में मैं फंसी थी उसके मुताबिक ये वैकेशन का मेरा सीज़न ही नहीं है। मेरे पास पहाड़ में, समंदर किनारे कहीं छुट्टी बिताने का विकल्प नहीं है। हां, दो ज़ोरदार विकल्प हैं राजस्थान और गुजरात के रेगिस्तानों में मई-जून के महीनों में वैकेशन के नाम पर गर्मी काटने के! वाह, लाखों की मेंबरशिप के नाम पर क्लब महिंद्रा की इस शानदार आॅफर को सलाम!

पिछले हफ्ते तक मेरे पास बार-बार रिमाइंडर आया करते थे ASF (Annual Subscription Fee) के भुगतान के लिए।

सबसे बड़ा लफड़ा ASF ही है जिसकी रकम हर साल बढ़ती जाती है। जब 2008 में मैंने मेंबरशिप ली थी तब करीब 8 हज़ार रु था ये आंकड़ा जो इस साल बढ़कर 18 हजार को पार कर गया है! अब ज़रा हिसाब लगाइये कि हर साल मैं एक हफ्ते के वैकेशन के लिए जब 18 हज़ार भरती हूं तो क्लब महिंद्रा मुझे क्या दे रहा है? अभी उसके पास मेरी मेंबरशिप का ढाई-तीन लाख रु पहले से जमा है। और आफत उस पर ये कि हर साल इतना पैसा अदा करने के बाद भी मैं अपनी मर्जी से अपनी मनपसंद लोकेशन पर नहीं रह सकती। क्योंकि जब जिस महीने जहां का प्लान करती हूं, वेबसाइट पर माथापच्ची करती हूं, पता चलता है रेसोर्ट फुल है। इसकी जड़ में क्लब महिंद्रा का रिज़र्वेशन सिस्टम भी है। बमुश्किल तीन-एक महीने की एडवांस बुकिंग खुलती है और खुलते ही मेंबर्स धड़ल्ले से कई-कई रेसोर्टों में बुकिंग करवाकर अपना हॉलीडे ब्लॉक करवा डालते हैं। हमारे जैसे देर-सबेर जागने वाले, इस मुगालते में रहने वाले कि हम तो मेंबर हैं, लिहाजा कम से कम एक या दो महीने पहले भी जागेंगे तो बुकिंग हो ही जाएगे, हमेशा मार खाते हैं। 27 अप्रैल को जून तक की किसी तारीख की बुकिंग वारका गोवा, अष्टमुड़ी, चेराई, पुवार (सिर्फ 3 दिन के लिए उपलब्ध), कुमराकोम में नहीं है। और यह हाल तो तब है जब तीन रोज़ पहले क्लब महिंद्रा के एग्ज़ीक्युटिव ने मुझे एएसएफ के भुगतान के लिए फुसलाते हुए आश्वस्त किया था कि चेराई में रेसोर्ट में जगह है। आज पैसे भरे, बुकिंग के लिए क्लब महिंद्रा की सुस्त वेबसाइट पर प्रोसेस शुरू किया तो पता चला का मामला टांय टांय फिस्स है! हमारी जुबान में इसे धोखा कहते हैं, क्लब महिंद्रा इसे पता नहीं क्या कहता है।

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वैसे कुछ खर्च न करो तो बचत बहुत होती है। मेरी भी हो रही है, देखो कितने दिन मेरे खाते में जमा हैं। ये हाल तो तब है जब अभी फरवरी में करीब 1.5 Days लैप्स हो चुके हैं। बहुत नियम वाले हैं क्लब महिंद्रा वाले। आपके खाते में 21 दिन जमा हुए नहीं कि इसके ऊपर के सब दिन लैप्स कर देते हैं। अब बताओ, कोई करे तो क्या करे। समय पर बुकिंग नहीं होगी तो दिन तो जमा ही होंगे न! ये है Club Mahindra के नियमों की दोहरी मार!
हर साल इसी आफत से दो-चार होने के बाद आखिरकार सोच लिया था कि नहीं भरेंगे इस सालाना बवाल को। बीते हफ्ते फिर एक फोन आया। मैं भरी हुई थी, बिफर गई और भरोसा दिलाया गया कि छुट्टी बिताने के लिए पांडिचेरी, चेरई के रेसोर्ट उपलब्ध हैं। वारका (गोवा) मई-जून में वैकेशन की पहली पसंद था, उसे जून में under maintenance बताया गया। हमने दिल को समझाया, क्या गोवा और क्या केरल। केरल में ही छुट्टी मना लो। खैर, दिल तो अपना था, मान गया। हमने तीन रोज़ बाद भारी मन से ASF की भारी रकम भी भर दी। कि चलो, नाराज़गी दूर कर लें। अब जब हाथ कटवा ही लिए हैं तो निभा लेते हैं। उम्मीदों से भरे थे, दिल्ली में आज बादल भी घिरे दिखे तो हमारी आंखों ने केरल में मानसूनी दिनों का ख्वाब सजा लिया। और फिर एक धोखा सामने थो। चेराई में सब कमरे फुल थे। अष्टमुड़ी के लिए मुड़े, वहां भी मामला गोल। पुवार को टटोला वहां मिड जून में ले-देकर तीन दिन उपलब्ध थे। यानी दिल्ली से दो दिन ट्रेन का सफर कर हम तीन दिन पुवार में रहने जाएंगे। सबसे बड़े #%@&*#@%$ तो हम ही हैं, हैं न क्लब महिंद्रा!

एक सितम और मेरी जां अभी बाकी है

हमने सोचा चलो अबकी बार हम भी स्ट्रैटेजी बदल लेते हैं, सर्दी के मौसम की बुकिंग अभी करवा लेते हैं। लाइन में लग ही जाते हैं। यहां भी भरम टूटा। फिलहाल सिर्फ 31 जुलाई तक की बुकिंग चालू है। अगस्त के महीने की बुकिंग 1 मई को खुलेगी। वैसे फोन के रिमाइंडर किस दिन काम आएंगे? वो जो सर्दी में राजस्थान के किले घूमने का मन है, उनके लिए सितंबर-अक्टूबर में बुकिंग कराने का रिमाइंडर आज ही फोन में लगा लेना चाहिए, क्या कहते हो? आखिर क्लब महिंद्रा की मेंबरशिप लेने का गुनाह जो किया है हमने। साल के सात दिन वसूलने के लिए छह-सात महीने का इंतज़ार करना तो बनता है, है न!

उस दिन को कोस रही हूं जब नोएडा की एक मॉल में घुसते ही क्लब महिंद्रा के जाल में फांसने वाले एक कूपन को भरा था। सावधान हो जाओ आप भी। सारे फसाने की जड़ यही कूपन होता है जिसके बदले आपको किसी संडे-वंडे को क्लब महिंद्रा के एक बड़े जाल में बुलाया जाता है। डेमोन्सट्रेशन दिया जाता है, लंबे-चौड़े हिसाब लगाकर बताया जाता है कि कैसे अगले 25 साल तक फाइव स्टार वैकेशन आप पा सकते हैं इस मेंबरशिप के बदले। साथ में एकाध फ्री वैकेशन का कूपन, फूड वाउचर भी मिलते हैं। हम फंस चुके हैं इस लालच में, बहुत बुरे फंसे हैं। और मज़े की बात है कि अब कोई राह दिखती नहीं। अलबत्ता, गालिब याद आते हैं –

कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी अब किसी बात पर नहीं आती

क्लब महिंद्रा के साथ इश्क में हमें जो फरेब मिला उसकी दास्तान आगे जारी रहेगी। अगली कड़ी में जानिए जिस Five Star Stay के वायदे के साथ आपको मेंबरशिप बेची जाती है, वो वास्तव में, कितना बड़ा धोखा है। लोकेशन के नाम पर जिस बीहड़ में आप ठहरते हैं वहां  सिर्फ और सिर्फ क्लब महिंद्रा के रेस्टॉरेंट की शरण में जाने की मजबूरी आपके पास होती है। और स्टे फाइव स्टार हो या नहीं, सलाद—अंडे की कीमत वसूलने में पूरी ईमानदार बरती जाती है।