कौन कर सकता है कैलास-मानसरोवर यात्रा
तिब्बत में खड़े कैलास पर्वत, जिसे सुमेरू या मेरू पर्वत भी कहा जाता है, के दर्शन का पहली बार ख्याल जब आया था तब मैं अठारह साल की हुई भर थी। नवभारत टाइम्स में विदेश मंत्रालय का बड़ा सा विज्ञापन छपा था जिसमें भारत और चीन सरकारों के बीच समझौतों के बाद आयोजित होने वाली सालाना कैलास-मानसरोवर तीर्थयात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
एक कॉलम पर नज़र पड़ी। पात्रता — 18 वर्ष से अधिक और 70 वर्ष से कम उम्र के भारतीय पासपोर्ट धारक ही यात्रा के पात्र हैं।
मेरा मन इस एक शर्त को पढ़ते ही नाच पड़ा था, जानते हैं क्यों? 18 साल की न्यूनतम उम्र की कसौटी पर मैं खरी उतरती थी। तो ये था मेरी एडल्ट आंखों में उतरा पहला ठोस सपना! और इस सपने ने मेरे मन में बहुत ही रैंडम तरीके से पैठ की थी। मैं किसी ऐसे माहौल से नहीं आयी थी जहां मंदिरों, रीतियों-रिवायतों, पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठानों की रेल-पेल हो। तब तक मेरे परिवार में किसी ने कोई तीर्थयात्रा भी नहीं की थी, यों भी नौकरीपेशा, मिडल क्लास मां-बाप की जिंदगी में संघर्ष इतने होते हैं कि पिकनिक और तीर्थ से दूरियां खुद ही बनी रहती हैं। फिर मेरी आंखों ने कब और कैसे इस ख्वाब को अपना बना लिया, यह आज भी मेरे लिए एक रहस्य है। बहरहाल, युवावस्था के उस ख्वाब की तामील हुई चालीसवें वसंत को पार कर लेने के बाद! लेकिन इस एक घटना ने मुझे सपनों की ताकत का बखूबी अहसास कराया था …. कि ख्वाबों को बस देखते रहना चाहिए, वो एक न एक दिन साकार हो ही जाते हैं।
आज भी कैलास-मानसरोवर यात्रा पर जाने की वही शर्त कायम है, आप जिस साल यात्रा के इच्छुक हैं उस साल 1 जनवरी को 18 से 70 साल तक की उम्र के हैं, तो विदेश मंत्रालय के सौजन्य से आयोजित कैलास-मानसरोवर यात्रा को कर सकते हैं।
फिटनैस को नहीं कर सकते नज़रंदाज
पहली कसौटी पार कर लेने के बाद अपनी फिटनैस पर गौर करें। BMI (Body Mass Index) सामान्य होना चाहिए यानी आदर्श वज़न। अगर वज़न ज्यादा है, यानी BMI 25 से अधिक है (How to calculate BMI) तो उसे घटाने की तैयारी शुरू कर दें। बिना टाल-मटोल के। इधर एप्लीकेशन भरें और उधर फिटनैस की राह पर दौड़ना शुरू कर दें।
ब्लड प्रेशर भी नॉर्मल होना चाहिए। दिल में कोई परेशानी नहीं हो। कुल-मिलाकर, यह कि आपकी सेहत अच्छी होनी चाहिए। आखिर 19,500 फुट तक की उंचाई पर जाना कोई मखौल नहीं होता।
शरीर और दिमाग का अच्छा संतुलन हो, मानसिक रूप से आप मजबूत हों और शारीरिक तकलीफों से मुक्त होने पर ही इस High Alltitude Pilgrimage का पूरा आनंद लिया जा सकता है।
कैसे की थी मैंने तैयारियां
जनवरी 2014 में आवेदन भेजने के बाद से ही मैंने हर दिन सैर शुरू कर दी थी। उस वक़्त मेरा वज़न मेरी कद-काठी के हिसाब से 10 किलो अधिक था, मेरी शारीरिक सक्रियता ज्यादा नहीं थी, दिन भर कंप्यूटर की स्क्रीन से खेलने के जिस काम को लेकर मैं अब तक गुरूर में रहा करती थी, वो 1 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ही ठंडा पड़ जाया करता था। और मैं ख्वाब देख रही थी दुनिया की छत पर जाने का!
खैर, मेरी असलियत मेरे सामने थी। धीमी शुरूआत जरूर थी लेकिन मैं नियमित थी। पार्क में हल्की-फुल्की सैर कुछ दिनों में ब्रिस्क वॉक में बदल चुकी थी। दो महीने की मेहनत के बाद भी मैं एक पाव वज़न घटाने में भी नाकामयाब रही तो चिंता होना लाज़िम था। मैंने जिम की मेंबरशिप ले ली। पूरे एक महीने तक जिम में मशीनों से इश्क करने का पूरा जतन किया, लेकिन खुले आसमान के नीचे नाचने-दौड़ने की फितरत वाली मैं और कहां चारदीवारी में रखी वो बेजान मशीनें। जिम में वो मेरा पहला और आखिरी महीना था!
अब तक मेरे आवेदन पर भी फैसला हो चुका था, और मेरा नाम 14वें बैच में शामिल था जिसे 7 अगस्त को दिल्ली से रवाना हो जाना था। यानी, तैयारियों को जोर-शोर से अंजाम देना जरूरी था। अब मैंने घर के नज़दीक DDA के Yamuna Sports Complex की मेंबरशिप ले ली थी और हर दिन सवेरे वहां जाने लगी। ब्रिस्क वॉक और हल्की-फुल्की जॉगिंग से आगे वहां भी नहीं बढ़ी। फिर पावर योग से जुड़ना चाहा, उसके साथ भी वही दिक्कत थी। बंद हॉल में योग, मेरा मन उसमें भी नहीं रमा। अलबत्ता, उस क्लास में सीखे कुछ नुस्खे, कुछ प्राणायाम मैं स्पोर्ट्स कांप्लैक्स की घास पर जरूर कर लिया करती थी। सुबह 4 किलोमीटर ब्रिस्क वॉक और शाम को 6 किलोमीटर की रफ्तारी सैर अब मेरी जिंदगी में सांसों की तरह शरीक हो चुकी थी। अब तक जून का महीना आ चुका था। मेरी यात्रा शुरू होने में बस दो महीने बाकी थी और मेरा वज़न बमुश्किल 2 किलो घट पाया था। लेकिन हर दिन 8-10 किलोमीटर की वॉक के बाद मैंने महसूस किया मेरी काया बेहद चुस्त बन चुकी थी। अब मुझे पैदल चलने का सिर्फ बहाना चाहिए होता था, हर छोटी-बड़ी दूरी कार की बजाय पैदल नापने की आदत पड़ चुकी थी। और आखिरी एक महीने में तो एक और दिलचस्प प्रयोग किया मैंने। अब घर के लिए ग्रॉसरी शॉपिंग एक झटके में न करके कई-कई किश्तों में करने लगी थी। हर दिन 6 से 8 किलोग्राम वज़न हाथों में उठाकर तेज रफ्तार से घर लौटने की चुनौती खुद को देने लगी थी। जब ग्रॉसरी का काम नहीं होता नारियल उठाने लगी थी, एक वक्त् में 4 से 6 नारियल उठाकर लगभग दौड़ते हुए घर आना। मेरे स्मार्टफोन की स्क्रीन पर हर दिन 10,000 steps और 8-10 kilometer का आंकड़ा आम हो गया था। और मैं हर दिन आत्मविश्वास से भर रही थी।
संतुलित, वेजीटेरियन खुराक और बिना जिम ट्रेनर के बावजूद मैंने आखिरकार उस ट्रैक को सफलतापूर्वक पूरा किया जिसे Indian Mountaineering Foundation ने High Alltitude Trek का दर्जा दिया है।
और जानकारी Who is Eligible (in Hindi) या Who is Eligible (in English) यहां देखें
अगले कुछ दिनों तक इस दुर्गम यात्रा से जुड़े कई पहलुओं पर आपसे संवाद जारी रहेगा। “कैलास मानसरोवर यात्रा कैसे करें” पर इस उपयोगी सीरीज़ में मेरे साथ जुड़े रहिए।