Alka Kaushik

A sea Voyage imprinted on the waves of my heart forever

ज़मीनी और हवाई सफर के बाद अगर कुछ बचता है तो वो है समंदर या अंतरिक्ष। अंतरिक्ष यात्राओं के ख्वाब सीनों में बंद हैं और समंदर की लहरों पर सवारी की चाबी किस्मत ने बीते महीने मेरे हाथ में थमा दी थी। Royal Caribbean के क्रूज़ ship Mariner Of The seas पर सिंगापुर-मलेशिया-थाइलैंड-सिंगापुर के 4 दिन और 4 रातों के सफर का न्योता आपके इनबॉक्स में हो तो आप पर क्या गुजरती है, यह वही जानता है जिस पर ये मेहरबानियां होती हैं।

मेहरबानियां, दरअसत कुदरत करती है, कुछ इस इस तस्वीर वालेअंदाज़ में। क्रूज़ पर पूरे बारह घंटे के सफर के बाद जब आंखों ने पहला नज़ारा देखा तो वो कुछ इस तरह था। सवेरे के 5 पांच बज रहे थे, मेरी आंखों में नींद का घमासान मचा था मगर जहाज़ का हिंडोला बंद हो चुका था। मैं बालकनी की तरफ दौड़ी यह देखने-समझने की वो जो मेरा दिमाग बता रहा है कि मैं कल पानी की लहरों पर सवार हुई थी और अब जो सब कुछ थमा-थमा सा है, तो असल माजरा क्या है!

देखा हम समंदर के बीच नहीं बल्कि किनारे खड़े थे, जहाज़ लंगर डाल रहा था और मिचमिचायी आंखों से किसी तरह पढ़ा कि वो क्लांग पोर्ट है। यानी हम मलेशिया में क्वालालंपुर के आसपास पहुंच चुके थे। हमारी जिंदगी की पहली समुद्री यात्रा का पहला पड़ाव। इधर बालकनी में मैं और पूरब में सूरज अंगड़ाई तोड़ रहे थे। अब नींद किसे आनी थी। समंदर के किनारे के उस पार छोटा-मोटा जंगल था, ढेर सारे पंछियों का किलोल तो मैं रोज़ घर में भी सुनती हूं मगर वहां एक कोयल का गान भी हवाओं में था।

मैंने चाय बनायी और फिर अगले दो घंटे चाय के कितने ही प्यालों की महफिलों के संग बालकनी में जमी रही। मन के एक कोने ने धीरे से कहा – जिंदगी में सुकून चाहिए तो क्रूज़ वैकेशन जल्द लेना मत भूलना!

पिछले रोज़ इस सफर को शुरू करने से पहले दिन कुछ तनाव में बीता था। होटल से चेक-आउट के बाद सवेरे 11 बजे ही हम Marina Bay Cruise Centre Singapore पहुंच चुके थे। भले ही सफर शाम 5 बजे शुरू होना था मगर इस बिज़ी टर्मिनल पर दूसरे यात्रियों की भीड़ को मात देने के लिए हमें समझा दिया गया था कि यह समय मुफीद रहेगा। इमीग्रेशन के लफड़े यहां भी होते हैं, लगभग वैसे ही जैसे हवाईअड्डों पर होता है। पासपोर्ट-वीज़ा की जांच-पड़ताल के बाद ही जहाज़ में चढ़ने का नंबर आता है।

Vacationers queing up for immigration at Marina Bay Cruise Centre Singapore

हमारा लगेज भी यहीं जमा हो गया था, अब सिर्फ हैंड बैगेज के साथ हम थे और हमारी परवाज़। जहाज़ में घुसते ही हमारे पासपोर्ट धरवा लिए गए और बदले में एक Sea card हमें मिल गया। अब यही हमारे केबिन की चाबी थी, यही हमारा आईकार्ड था।

एक कमरा जो पानी पर तैरता रहा दिन-रात

अब थोड़ी बातें इस स्टेटरूम की हो जाएं जिसमें 4 दिन 4 रातें छूमंतर हो गई थीं। इस स्टेटरूम में 2 twin beds थे जिन्हें जोड़कर आाराम से एक ​queen bed बन जाता है। शावर एरिया, क्लोज़ेट स्पेस, लिविंग एरिया जिसमें मेरे लैपटॉप के लिए डेस्क थी, फ्लैट स्क्रीन टेलीविजन था, एयर कंडीशनिंग, डायरेक्ट डायल टेलीफोन, मिनी बार, सेफ, 24 घंटे रूम सर्विस का भरोसा और इंटरनेट तो ऐसा झकास कि बस पूछा मत! जनाब, ऐसी भयंकर स्पीड वाला इंटरनेट तो हमने कभी ज़मीन पर नहीं पाया था जो हमें सिंगापुर से फुकेट तक के क्रूज़ में नसीब हुआ था।

डैक 6 पर मेरे 199 वर्ग फुट के कमरे से सटी 65 वर्ग फुट की नन्ही-सी बालकनी से दिनभर समंदर गुनगुनाता था। मगर रात के घुप्प अंधेरे में उसकी दहाड़ मेरी जान सुखा देती थी। मलक्का की खाड़ी के बियाबान में लहरों पर दौड़ता हमारा जहाज़ और दूर तलक सिर्फ काला सागर रात के वक़्त जल दैत्य बन जाया करता था। और मैं चाहकर भी साठ सेकंड से ज्यादा बालकनी में ठहर नहीं पाती थी। दूर अंधेरे में आंखे गड़ाने का मन होता था, मगर लहरों का शोर बेहद डरावना हो जाता था रात के सन्नाटे में। काले पानी पर रोशनियों का एक लंबा-सा बदन अपनी मतवाली चाल दौड़ता चलता था। मैं बेमन से अपने बिस्तर पर लौट आया करती थी। सोच की गठरी को एक ​तरफ रखकर मैं उस हल्के हिंडोले को महसूस करने लगती जो समुद्री यात्राओं की खूबी है। अलबत्ता, अब जहाज़ इतने भारी-भरकम और टैक्नोलॉजी से लैस बनते हैं कि उनमें समंदर के झटकों को जज़्ब करने की गज़ब की कुव्वत है। और यही वजह है कि आज के दौर के क्रूज़ पर सी-सिकनेस जैसा कुछ नहीं होता।

आॅक्यूपेंसी: 2 लोगों के लिए आराम से

स्टेटरूम में चेक-इन करते ही पैरों को जैसे पंख लग गए थे। मैं डैक 6 से लिफ्ट में सवार हुई और सीधे डैक 12 पर पहुंच गई थी। सिंगापुर अब पीछे छूट रहा था और हम मलक्का की खाड़ी में बढ़ते ही जा रहे थे।और उस सुरमई शाम के कुछ ऐसे नज़ारे हमेशा के लिए यादों के कैनवस पर चिपक गए।

जैसे पहला-पहला प्यार होता है न, मतवाला, पगलाया-सा, वैसे ही वो पहला क्रूज़ साबित हुआ। मेरे पैरों में पंख लग गए थे। एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे डैक पर उड़ती फिरी थी मैं। कहीं कैसिनो दिखता तो वहीं की हो लेती और फिर याद आता कि यह कोई जहाज़ नहीं छोटा-मोटा शहर है जहां दुनियाभर की मौज-मस्ती है, ऐशो-आराम है, मज़े हैं, लुत्फ हैं, यानी कुल-मिलाकर जिंदगी बेहद-बेहद हसीन है।

Entertainment knows no bounds in a cruise liner

समुद्री यात्राओं का जिक्र आते ही ख्यालों में सिंदबाद घुस आता है। उसकी साहसिक यात्राएं, दुनिया के अनजान-अनाम टापुओं तक ठोंकरे खाकर पहुंचने के दुस्साहसी कारनामों से हमारा बचपन भरा था। कैसे होंगे वो दिन जब छोटी-छोटी नौकाओं में समुद्री तूफानों, लुटेरों, भयंकर समुद्री जीवों जैसे खतरों से जूझते हुए उस दौर में भी अपने मुकाम पर पहुंचने की जिद हुआ करती थी। बहरहाल, अब वक़्त उतना बेरहम नहीं रहा है और समुद्री सफर में आप मज़े-मज़े से जुल्फें लहराते हुए सुकून में समय बिता सकते हैं।

आधुनिक क्रूज़ जहाज़ लग्ज़री से लबरेज़ होते हैं।  नतीजतन, दुनिया जहां से, अलग-अलग देशों से, अलग-अलग नस्लों- राष्ट्रीयताओं के लोग एक साथ, एक वक्त़ में वैकेशन मना सकते हैं। हमारे क्रूज़ में ही दुनिया के 33 देशों के टूरिस्ट मौजूद ​थे। हमारी जुबानें एक न सही, मन में हिलोरे लेता समंदर तो हमें आपस में जोड़ रहा था। कुछ इस तरह –

My co-passengers from Indonesia & Korea on board Mariner of the Seas

क्रूज़ वैकेशन पर जाने का मतलब सिर्फ यह नहीं होता कि अपने केबिन में घुसे रहो और अपनी बालकनी से समंदर से बतियाओ। जहाज़ में हर तरफ आपको व्यस्त रखने, आपके मनोरंजन के लिए इफरात इंतज़ाम किए जाते हैं। जैसे ये थियेटर।

दूसरी शाम हमने सैवॉय थियेटर में गुज़ारी और एक गज़ब का ब्रॉडवे शैली का शो देखा।

Savoy Theatre brings you Broadway style entertainment

और हां, यह तो बताना ही भूल गई कि वो जब जहाज़ मलेशिया के तट पर आ लगा था तो हमने क्या किया। दरअसल, हमारे प्लान में मलेशिया की तफरीह शामिल नहीं थी और न हम वहां का वीज़ा-करेंसी अपने बस्ते में लाए थे। जहाज़ ने 8-9 घंटे के लिए उस बंदरगाह पर लंगर डाला था और हमारा उतने से कुछ होने वाला नहीं था! लिहाज़ा, हमने मलेशिया को अपनी बालकनी से निहारा और फिर जब बाकी यात्री जहाज़ से उतर गए तो हम पूरे जहाज़ पर यहां से वहां इतराते फिरे।

डैक 12 पर पहुंचे तो हक्के-बक्के रह गए थे। एक मिनी गोल्फ ग्राउंड, एक बास्केटबॉल कोर्ट, जॉगिंग ट्रैक जो पूरे जहाज़ पर से गुजरता था और यहां तक कि बिगिनर्स के लिए रॉक क्लाइंबिंग की पाठशाला भी सजी थी इस वॉल के रूप में।

State-of-the-art recreational facilities like a rock-climbing wall & a basketball court

मेरे जैसे आउटडोर पसंद के लिए क्रूज़ वैकेशन बड़ी कातिल साबित हुई थी। अपनी बालकनी में बैठती तो मन दार्शनिक होने लगता था और कमरे की हदों को टापकर बाहर आती तो ऐसे नज़ारे बांध लेते। एक तन और सैंकड़ों मन वाली कहानी थी अप्पन की।

Mini golf area

क्रूज़ पर एक दुनिया बालकनी के उस पार होती है जहां से समंदर हरहराता है और एक इस पार बसती है जिसमें जीवन का उल्लास बसा होता है। दिनभर पार्टियांऔर देर रात तक क्लब-बार की रौनकें, डिनर टेबल के गिर्द फैले हंसी-ठट्टे, डैक पर ओपन एयर बार, पूल की रंगीनियां, ओपन एयर स्क्रीन पर फिल्मों-शो वगैरह का जलवा, स्पा-जिम, लाइब्रेरी, चैपल .. जी हां, ठीक सुना आपने एक चैपल भी था सबसे ऊपरी डैक पर। उसके ठीक बराबर में ब्राइडल चेंजिंग रूम भी। तो समझ गए न कितने इंतज़ाम थे उस जहाज़ी दुनिया में।

world class entertainment on skating rink will keep you glued for entire duration of the performance

जहाज़ पर दिन बीतते नहीं हैं, भागते हैं-सरपट। रात घिरने का मुझे शिद्दत से इंतज़ार रहा। दरअसल, वही समय होता था जब अपने लालची मन और तन को काबू में करके किसी तरह अपने स्टेटरूम में लाती थी। बिस्तर पर जाने से पहले रात के आगोश में डूब चुके समंदर से मिलने की आदत-सी बना ली थी। किसी शाम घुसती तो एक नीलापन आंखों में समाता था। एक अद्भुत शांति और सुकून था उस कमरे में। वाकई एक दुनिया बसा ली थी मैंने वहां।

Room with a view

यों जश्न के बहाने हज़ार होते हैं। क्रूज़ पर सवार हों तो बात-बात पर जश्न बनता है। बार कुछ यों सजी हो तो बेबात बहाने भी मन गढ़ ही लेता है!

Find a better place to quench the thirst, if you can!

सपनीली दुनिया से बाहर निकलकर देखा तो खुद को इस किचन में पाया था। यहां क्रूज़ पर निकले करीब 2000 यात्रियों और लगभग 1000 क्रू-मेंबर्स, अटैंडेंट स्टाफ, एंटरटेनर्स वगैरह की बड़ी फौज के लिए दिन के तीन मील और जाने कितनी ही दफा स्नैकिंग-टी-कॉफी ब्रेक के इंतज़ाम बिल्कुल जंगी पैमाने पर चलते हैं।

This huge kitchen area on board ship is a testimony that food is a grand affair

और एक या दो नहीं बल्कि 3 अलग-अलग डैकों पर विशाल डाइनिंग हॉल, कुछ खास डाइनिंग के लिए फाइन ​डाइनिंग रेस्टॉरेंट, कैफे वगैरह के साथ खाने-पीने की एक बड़ी सी दुनिया यहां आबाद थी।

Grand dining room on board Mariner of the Seas

पूरा दिन लिफ्टों से होते हुए पता नहीं कितनी बार डैकों के चक्कर लगाती थी। हर डैक पर एक नया नज़ारा होता। एक रोज़ कितनी ही देर इन कलाकृतियों से गपियाती रही थी। पहले तो ठिठक गई थी क्योंकि यकीन ही नहीं हुआ था कि क्रूज़ में आपका वास्ता आर्ट आॅक्शन से भी हो सकता है। एक से एक नायाब आर्टवर्क वहां एक कोने में कद्रदानों के लिए जमा था।

Art auction on of the decks

डैक 12 पर इस पूल और पूलसाइड बार में हर शाम पार्टी हुआ करती थी। इसे देखकर भी आप अपने हॉलीडे चेकलिस्ट में क्रूज़ वैकेशन को शामिल नहीं करोगे?

Poolside open air screen to entertain on board guests

जहाज़ी सफर क्या था, जैसे मैं एक सपने को जी रही थी। एक सुबह उठी और नाश्ते की मेज पर अपनी धुन में खोयी-खोयी थी कि खिड़की के उस पार से इस नीले-हरे समंदर ने आवाज़ दी। फुकेत टापू पहुंचने से ज़रा पहले ये कुछ और द्वीप समूह थे। आसपास स्पीडबोटिंग में मग्न थी दुनिया। समंदर की लहरों का नशा कितना गहरा होता है, इसे बताने के लिए बस एक तस्वीर काफी है। उस रोज़ दिनभर हमने फुकेट को खंगाला और शाम ढलते ही फिर लौट आए अपने चलते-फिरते ठिकाने पर।

Was it a dream I was seing with opened eyes? Location- Phuket, Thailand

और आखिरी सुबह जब अपने कमरे को अलविदा कहकर बाहर निकली तो कुछ यों था नज़ारा उस गैलरी का जिससे होकर कितनी ही बार कितने ही डैक नापे थे। मन डूब रहा था। समंदर से विछोह कहां इतना आसान होता है? लगेज तो कभी का बांध लिया था लेकिन मन को समेटना बहुत मुश्किल था।

Time to say goodbye

मैराइनर आॅफ द सीज़ से जुड़ी कुछ खरी-खरी जानकारी:

  • Cruise Line:  Royal Caribbean Cruises
  • Year Built:  2003
  • Tonnage: 138,000
  • Passengers (Max Occupancy): 3114 Passengers
  • Number of Crew: 1185
  • Total length: 1,020 feet (311 mtrs)
  • Nationalities of the crew: International (from 43 countries)
Mariner of the Seas

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