सिल्क रूट पर से गुजरा ज़माना – किर्गिस्तान
इतनी करीब एक मंज़िल है और हमारी सोच में वो कभी अटकी ही नहीं (Its a 3 hour flight from Delhi to Bishkek, the capital of Kyrgyzstan)! वाकई, किर्गिस्तान मध्य एशिया का वो खूबसूरत लम्हा है जिसे वक़्त भुला चुका था। यूएसएसआर के विघटन (disintegration of USSR) के बाद, कुछ समय बदहवास और परेशान रहने वाले इस देश ने अब पर्यटन से दोस्ती कर ली है। और नतीजा यह हुआ है कि यहां होमस्टे, इकोटूरिज़्म, रूरल टूरिज़्म, हॉर्स ट्रैक जैसी उन संकल्पनाओं ने जड़ें जमा ली हैं जो इसकी पुरानी फितरत, अलहदा पहचान और बहुत ही खास लैंडस्केप को आने वाली पीढ़ियों के लिए लंबे समय तक सुरक्षित रखेंगी।
किर्गिस्तान में आपके लिए ढेरों एडवेंचर बांहें फैलाए खड़े हैं जहां आप घोड़ों पर सवार होकर लंबे रास्तों पर ट्रैक के लिए निकल सकते हैं, पहाड़ों से घिरे घास के मैदानों में खानाबदोश घरों — ‘यर्ट’ में ठहरने का अनुभव ले सकते हैं, तीरंदाजी, चील-बटेर के शिकार पर निकल सकते हैं और यहां तक कि बिश्केक की नाइट लाइफ का दीदार भी कर सकते हैं। यहां मध्य एशिया के घुमंतू समुदायों की जीवनशैली का साक्षात् अनुभव लेने के साथ-साथ आप क्लब-पब भी देख-भोग सकते हैं।
किर्गिस्तान — हौले-हौले चलो मोरे साजना
तियान शान के पहाड़ों के उस पार डूबता सूर्यास्त आपकी यादों में घुसपैठ करने लगता है और आप खन तिंगड़ी की उस चोटी को अपने ज़ेहन में समेटते हैं जिसने ऐसे नज़ारों से आपकी जिंदगी का एक दिन बेहद खास बना दिया है। नदी घाटियों से गुजरते हुए, ढलानों पर हौले-हौले आगे बढ़ते हुए, घास के लंबे मखमली मैदानों के दृश्य आंखों से पीते हुए एक लंबा दिन धीमी चाल से गुजर जाता है। किर्गिस्तान मुझे इस लिहाज से एक विरोधाभास लगता है, एक ऐसा देश जिस तक फुर्र से उड़कर पहुंचा तो जा सकता है लेकिन जिसके भीतर पहुंचते ही दूरियों को रफ्तार से मापने का यह अंदाज़ बिश्केक हवाईअड्डे पर ही भूल जाना होता है।
तियान शान की तलहटी से पुराने दौर में गुजरे कारवां और उनकी निशानियां कहीं-कहीं आज भी जमा हैं। उस गुजरे वक़्त की आहट सुनने के लिए राजधानी बिश्केक से करीब छह सौ किलोमीटर दूर, सीमांत पर खड़े तोरूगार्ट दर्रे से कुछ पहले अपनी रफ्तार रोकनी पड़ती है। कहते हैं सैंकड़ों सालों से मध्य एशिया के कारोबारी रास्तों पर खड़े किर्गिस्तान में, पहाड़ों की ओट में, घाटियों के सीनों पर पुराने दौर के कुछ उभार देखे जा सकते हैं। ऐसी ही एक ऐतिहासिक निशानी है ताश रबात (a caravan sarai)। राहगीरों के कारवां ताश रबात सराय में सिर छिपाने के लिए रुका करते थे। पुरातत्ववेत्ताओं के हाथ वो सबूत लग चुके हैं जो कहते हैं कि 10वीं सदी में यह सराय आबाद थी। चीन से चलने वाले कारवां मौसम की मनमानियों और लुटेरों के हमलों से बचने के लिए इस सराय में रुका करते थे।
बीत चुके वक़्त की आहट सुनने के लिए सिल्क रूट पर ताश रबात की इस सराय तक पहुंचना आपको यकीन दिला देगा कि किर्गिस्तान वाकई विरोधाभासों का शहर है। जिस देश की सरहदों के भीतर पहुंचने में कुल—जमा तीन घंटे भी नहीं लगते उसके नज़ारों को देखने और उसके ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचने के लिए कई—कई घंटे लगना आम है। दरअसल, इसकी वजह है इस देश का पहाड़ी मिजाज़। देश का एक बड़ा हिस्सा तियान शान और पामीर की पहाड़ियों से घिरा है, लगभग 90 फीसदी क्षेत्र औसतन 1500 मीटर से अधिक उंचाई पर है और इसकी पर्वतश्रृंखलाओं की कम उम्र यह सुनिश्चित करती है कि ज्यादातर पहाड़ कई—कई हजार मीटर उंचे हैं जिनकी गोद में गहरी खाइयां, घाटियां हैं। इन पहाड़ों की ढलानों पर से कितने ही हिमनद दौड़ते हैं और कितने ही झरने फूटते हैं। मध्य एशिया के इस अपेक्षाकृत छोटे देश में एकाध दर्जन नहीं बल्कि 2000 से अधिक झीलें हैं। हमारे ताज जैसी पहचान किर्गिस्तान को देने वाली नमकीन पानी की इसि कुल झील तो इतनी बड़ी है कि इसके तटों पर मीलों लंबा सफर आप तय कर सकते हैं। ज्यादातर झीलें उंचाई वाले इलाकों में हैं।
किर्गिस्तान में जरूर देखें
- इसि कूल झील और इसके किनारे सितंबर 2016 में आयोजित होने वाले World Nomad Games 2016 । ये खेल दो साल में एक बार आयोजित किए जाते हैं
- सइमालू ताश — शैलचित्रों के लिए विख्यात, सभ्यता से दूर, एकांत में खड़े इस पठारी इलाके तक पहुंचना बहुत आसान नहीं है। यह जगह पवित्र मानी जाती है और इसके पत्थरों पर उकेरी गई चित्रकारी करीब 2000 साल पहले या उससे भी पूर्व की मानी जाती है
- आॅस — सिल्क रूट पर खड़े बाज़ार की रौनक को आज तक संभालता आया शहर
- खन तेंगड़ी का सूर्यास्त
- किर्गिस्तान—चीन सीमा के नज़दीक ताश रबात की सराय
कैसे जाएं (Air Manas with its fleet of 3 aircrafts provides the only connection between New Delhi and Bishkek)
दिल्ली से बिश्केक तक Air Manasकी सीधी उड़ान
समय — 3 घंटा
रिटर्न टिकट — करीब 28,000/रु 31 मई, 2016 की जानकारी के अनुसार
एक ज़माने में चार्टर्ड उड़ान के तौर पर इस मध्य एशियाई देश से हिंदुस्तान और दूसरी मंजिलों तक के फेरे लगाने वाली Air Manas अब Pagasus Airlines के साथ मिलकर फुल-सर्विस एयरलाइंस बन चुकी है। इसके विमानों में सवार होकर हफ्ते में दो बार दिल्ली से किर्गिस्तान बिश्केक आना-जाना मुमकिन है। जल्द ही यह फ्रीक्वेंसी बढ़कर हफ्ते में तीन बार होने वाली है।
Stay tuned for more updates on KyWorld Nomad Games 2016