The mystery behind Rohtang, the corpse strewn pass in the Himalayas
संसार के उस पार का संसार कुल्लू कभी ‘कुलूत’ था यानी सभ्यता का अंतिम पड़ाव और मान लिया गया था कि उसके आगे संसार खत्म हुआ जाता है। और वो …
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संसार के उस पार का संसार कुल्लू कभी ‘कुलूत’ था यानी सभ्यता का अंतिम पड़ाव और मान लिया गया था कि उसके आगे संसार खत्म हुआ जाता है। और वो …
Read Moreकाज़ा (https://en.wikipedia.org/wiki/Kaza,_Himachal_Pradesh) से 14 किलोमीटर दूर लांग्ज़ा गांव की ढलानों पर छोटे बच्चों ने मुझे घेर लिया था। उन नन्हें हाथों में शालिग्राम ठुंसे थे जिन्हें वो औने-पौने दाम में …
Read Moreबस्तर* के बियाबानों में बस्तर में उस गहराती शाम के सन्नाटे का रोमांच आज भी ताज़ादम है। कांगेर वैली नेशनल पार्क में तीरथगढ़ जलप्रपात को देखकर अकेली लौट रही थी। …
Read MorePhoto Essay on Kohima स्कूल में जब पूर्वोत्तर की आठ बहनों के नाम रटने पड़ते थे तब नगालैंड—मणिपुर जैसे नाम किसी दूसरे ही लोक के मालूम होते थे! नहीं मालूम …
Read Moreबर्तोलिन ने एक दफा कहा था, जो सहज उपलब्ध है, वही बिकता है। शायद यही वजह रही होगी कि गोवा, मुंबई, राजस्थान जैसे ठौर—ठिकाने ट्रैवल जगत का हिस्सा कभी का …
Read Moreलॉन्गखुम एक बार फिर लौटना होगा। नागा किंवदंती के अनुसार हमारी आत्मा वहीं ठहर गई है, उस पहले सफर में वो लॉन्गखुम की पहाड़ी ढलानों पर उगे बुरांश के पेड़ों …
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