30000 फीट पर ‘हिंदू मील‘
मेरा दूसरा सवाल तैयार था – ‘तो फिर ये हिंदू मील क्या बला होती है?’ “अमां यार, बला नहीं, वो दरअसल, उन ‘हिंदुओं’ के लिए परोसा जाने वाला मील है जो तुम्हारी तरह ‘स्ट्रिक्ट वेजीटेरियन’ नहीं होते। यानी जो मांस-माछ, अंडे-डेयरी प्रोडक्ट्स खाने से परहेज नहीं करते। और हां, हिंदू मील इसलिए कि उसमें और कोई भी मांस हो सकता है, लेकिन ‘बीफ’ हरगिज़ नहीं।”
हांगकांग से दिल्ली की उड़ान का टिकट मेरे इनबॉक्स में था*। और तो सब ठीक लगा लेकिन meal preference वाले कॉलम में ‘हिंदू मील’ ने मुझे चौंकाया था। सोचा जरूर टिकट बनवाते समय राष्ट्रीयता में ‘भारतीय’ दर्ज करने और ‘वेजीटेरियन’ भोजन की पसंद के चलते ही मुझे हिंदू भी मान लिया गया होगा। वैसे भी नाम और चेहरा-मोहरा कतई हिंदुस्तानी है, सो लगे हाथों हिंदू भी कह लेने में हर्ज ही क्या है! शुक्र था कि मेरे मांसाहारी दोस्त उस सफर में साथ थे जिन्होंने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि मेरे डिनर में मांस भी हो सकता है।
अब क्या होगा? क्या अपनी पसंद का शाकाहारी खाना मिलेगा? कहीं सफर में भूखे तो नहीं रह जाना होगा। वैसे भी मुझे मेवे-शेवे और खाखड़ा-फाकड़ा अपने बस्ते में लेकर चलने की कतई आदत नहीं है। सुबह होटल छोड़ने से पहले नाश्ते की मेज से जो सेब बस्ते में ठूंस लिया था उसे सुरक्षा के नाम पर हवाईअड्डे पर पहले ही ‘जब्त’ किया जा चुका था। आगे की ‘रणनीति’ पर कुछ विचार करने से पहले ही दोस्तों ने सुझाया – ‘तुम जैन मील मांग लेना, उसमें गारंटी है कि तुम्हारा धर्म कतई भ्रष्ट नहीं होगा!’ और उनके गालों तक फैल चुके होंठों की हंसी बता रही थी कि उन्हें मुझसे कितनी हमदर्दी है।
जहाज़ में ट्रेन जैसा मामला नहीं होता कि लंच-डिनर-ब्रेकफास्ट के ‘ऑर्डर’ लेने आपके पास कोई दौड़ा आए। टिकट बनवाते वक्त ही सारी फरमाइशें भी रिकार्ड हो जाती हैं, जैसे किस्मत का पन्ना सीलबंद हो गया हो। उस रात एयरहॉस्टेस केटी ने डिनर के पैकेट बांटने से पहले हर किसी की सीट पर जाकर यह पुष्टि कर ली थी कि कौन क्या खाएगा। वैसे इस ‘हर किसी’ में सारे यात्री शुमार नहीं थे, ये मेरे जैसे वो गिने-चुने जीव थे जिन्होंने ‘वेज फूड’, ‘हिंदू मील’, ‘वीगन / डेयरी फ्री मील’, ‘जैन मील’, कोशर या हलाल मील, लो कैलोरी, लो प्रोटीन मील, ब्लैंड (बिना मसालेदार), ग्लुटन-फ्री मील जैसे विकल्पों को पहले से चुन रखा था। केटी से मैंने दो टूक पूछ लिया कि किस मील में मछली, अंडा और मांस नहीं है। ‘यू गो फॉर एशियन वेजीटेरियन मील’। वो मेरे शाकाहारी मन को समझ चुकी थी और उसी फरमाइश को पूरी करने विमान के पिछले हिस्से में गैली की तरफ सरपट दौड़ गई थी।

इंटरनेशनल उड़ानों में खाना इतना बवाल भी हो सकता है, यह उस दिन मालूम पड़ा। घर, दफ्तर, रेल, बस, कार, स्टेशन और प्लेटफार्मों पर, हवाईअड्डों के वेटिंग लाउंज से हवाई जहाज़ों तक में इससे पहले अनगिनत यात्राओं के दौर से गुजरने के बावजूद ऐसी गफलत से दो-चार कभी नहीं होना पड़ा था। किस्म-किस्म के खाने के पैकेट जहाज़ के केबिन में बंट रहे थे, केटी बड़ी सावधानी से एक पन्ने में बाकायदा पढ़ती और फिर यात्रियों से पूछ-पूछकर उनका वाला पैकेट उन्हें थमाती।
अपने डिब्बे को धीरे-धीरे खोलकर मैं उसके हर कोने में मुआयना कर आयी थी। साथ बैठे दोस्त ने समझाया – ”खा लो, आंख मूंदकर, एशियन वेजीटेरियन मील माने ऐसा भोजन है जिसमें किसी भी तरह का मांस-माछ और अंडा नहीं होता।” अब मेरा दूसरा सवाल तैयार था – “तो फिर ये हिंदू मील क्या बला होती है?” दोस्त मेरे संकट को भांप चुका था, और 30,000 फीट पर उड़ान के दौरान मुझे तसल्लीबख़्श तरीके से डिनर का सुख दिलाने की जिम्मेदारी ओढ़ चुका था – “अमां यार, बला नहीं, वो दरअसल, उन ‘हिंदुओं’ के लिए परोसा जाने वाला मील है जो तुम्हारी तरह ‘स्ट्रिक्ट वेजीटेरियन’ नहीं होते। यानी जो मांस-माछ, अंडे-डेयरी प्रोडक्ट्स खाने से परहेज नहीं करते। और हां, हिंदू मील इसलिए कि उसमें और कोई भी मांस हो सकता है, लेकिन ‘बीफ’ हरगिज़ नहीं।”
खाने को लेकर इतनी चर्चा और इतना ‘ज्ञानवर्धन’ इससे पहले कब हुआ था, मुझे याद भी नहीं है। मुझ जैसे सादा खान-पान पसंद शाकाहारी के लिए भोजन कभी बातचीत का विषय हो नहीं सकता था। लेकिन उस रोज़ ‘हिंदू मील’ के बहाने एक सिलसिला बना तो लगा कि खाना कितना संजीदा मसला है। ‘वीगन’ और ‘वेजीटेरियन’ तक का ख्याल एक एयरलाइंस ऐसे रख रही थी जैसे मां अपने उस बच्चे के खान-पीन का रखती है जिसका अन्नप्राशन चार रोज़ पहले ही हुआ होता है! लेकिन विमान की उस सीमित काया में दुनियाभर की राष्ट्रियताओं के लोगों की किस्म-किस्म की food preference को लेकर जिस समझबूझ और सम्मान का अहसास कराया जा रहा है, उसी का नतीजा है कि घुमक्कड़ी करते हुए मुझ वेजीटेरियन को मांसाहारी देशों में भी खान-पीन की चिंता नहीं रहती है।
यह किस्सा है 2017 में ताइवान-हांगकांग-दिल्ली तक की Cathay Pacific की उड़ान का जिसने मुझे अपनी अगली अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में टिकट बुकिंग के वक्त ही मनपसंद मील प्री-बुक करवाने का सबक दिया था।
*The trip and flight was sponsored by Taiwan Tourism