रंगीले राजस्थान की 10 अलबेली मंजिलें
बहुत मुश्किल होता है राजस्थान जैसे राज्य के लिए सिर्फ 10 मंजिलों को चुनना जिन्हें किसी सूरत ‘मिस’ नहीं किया जाना चाहिए। रंगीला राजस्थान देश के उन राज्यों में से है जिसने टूरिज़्म को उस दौर में गले लगाया था जब दूसरे कई प्रदेशों में पर्यटन का ककहरा भी शुरू नहीं हुआ था।
लिहाज़ा, यहां सैर-सपाटे का प्रोग्राम बनाने के लिए बहुत ज्यादा आगा-पीछा सोचना नहीं पड़ता। बस, बैग बांधो और निकल पड़ो। ज्यादा जानकारी के लिए ढेरों Rajasthan Tour Packages उपलब्ध हैं, मनमाफिक चुन लो।
चलिए, आज राजस्थान की उन 10 मंजिलों या अनुभवों के बारे में जानते हैं जहां आपको जरूर जाना चाहिए या जिनका लुत्फ जरूर लेना चाहिए:
- कुंभलगढ़ किला– मेवाड़ के महाराणा कुंभा ने 16वीं सदी में इस अभेद्य दुर्ग को बनवाया और आज युनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज है। इस प्राचीन किले की भव्यता में चार चांद लगाने वाली इसकी विशाल दीवार चीन की दीवार के बाद दुनिया में सबसे लंबी है। लगभग 38 किलोमीटर लंबी इस दीवार की चौड़ाई कहीं-कहीं तो इतनी है कि एक साथ पांच घोड़े इस पर से गुजर सकते थे!
खास- हर शाम किले में आयोजित साउंड एंड लाइट शो को देखने से न चूकें।
- मेहरानगढ़ किला, जोधपुर– राजस्थान अपनी संगीतमय विरासत के लिए भी जाना जाता है और इसका साक्षात् अनुभव लेने के लिए हर साल अक्टूबर में Rajasthan International Folk Festival (RIFF) और फरवरी में World Sacred Spirit Festival की संगीत संध्याओं का हिस्सा बन जाइये। देर रात तक सजने वाली इन महफिलों में, देश-विदेश का भक्ति संगीत सुनिए, ट्राइबल और रूट म्युजि़क की धुनों में खो जाइये।

खास- किले का म्युजि़यम देखें और म्युजि़यम शॉप से opium Itr या Monsoon Itr खरीदना मत भूलना।

- सोनार किला, जैसलमेर- थार के रेगिस्तान में यह अजब किला है जो खुद कभी शहर था! दरअसल, दुनिया के उन गिने-चुने किलों में से है जैसलमेर का गोल्डन फोर्ट जिसके भीतर ही पुराने शहर की कुछ आबादी आज तलक बसी हुई है जबकि एक ज़माने में शहर का एक बड़ा हिस्सा इसी किले में गुजर-बसर करता था। सत्यजित रे के मिस्ट्री थ्रिलर ‘शोनार किला’ ने इसे अमर बना दिया है।
खास- मौका लगे तो जैसलमेर में क्वीन हरीश (http://queenharish.com) का शो देखें।
- रणथंबोर नेशनल पार्क- पूर्वी राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में, अरावली और विंध्य के पठार के जोड़ पर खड़े द्वीप की तरह है रणथंबोर जिसमें सुनहरी घास के मैदान और कीकर, बबूल, खैर, इमली के पेड़ों की विरल वनस्पति कई जंगली जीवों की शरणस्थली है। करीब 1334 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभयारण्य रॉयल बंगाल टाइगर की पनाहगाह है और देश-विदेश के सैलानियों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
खास- किले में त्रिनेत्र गणेश मंदिर में दर्शन करें जहां आज भी डाकिया हर दिन देशभर से वैवाहिक निमंत्रण लेकर आता है। लोग शादी-ब्याह का पहला न्योता यहीं गणेश जी को भिजवाते हैं।
- झाड़ू म्युजि़यम, जोधपुर- राजस्थान की विभिन्न जनजातियों के इस्तेमाल में आने वाली ढेरों किस्म की झाड़ुओं को जोधपुर-पोकरण मार्ग पर बने इस संग्रहालय में संजोया गया है। यों म्युजि़यम खस्ताहाल है, मगर झाड़ू संग्रह, और हरेक झाड़ू के बारे में दर्ज जानकारी देखने लायक है।
खास- संग्रहालय में ‘पुरुष’ और ‘महिला’ झाड़ू का राज़ पता लगाएं।
- दरगाह गरीब नवाज़, अजमेर – 13वीं सदी के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दी चिश्ती की इस दरगाह में दिल से की गई दुआ ख्वाजा साहब के दरबार में जरूर पूरी होती है। यहां कव्वाली सुनिए, मन्नत मांगिए, माथा नवाइये या बस यों ही कुछ वक्त अध्यात्मिकता के नाम गुजारिए। अजमेर के बारे में और जानकारी देखें
खास- दरगाह परिसर में उस मज़ार तक हो आइये जो एक ऐसे सनकी बादशाह की है जिसने एक दफा अपनी जिद में चमड़े के सिक्के चला दिए थे।
- पिचोला झील, उदयपुर- इस झील के किनारे किसी टैरेस रेस्तरां पर अपनी महफिल सजा लीजिए और ढलती शाम को रात में उतरते देखिए।
- शेखावटी या चुरू की हवेलियां- इन शहरों की हवेलियों पर से समय धीरे-धीरे सरक रहा है, आप उस समय के साक्षी बन जाइये। हवेलियों की चित्रकारी, उनके विषय, उनमें दर्ज गाथाएं आपसे कुछ कहने को आतुर हैं, चलो, अगली दफा उन्हें ही सुन आएं।
- जयपुर की धरोहरें और बाज़ार– गुलाबीनगरी का सफर नहीं किया तो क्या किया! इसके किलों, राजमहलों की भव्यता और बाज़ारों की रौनकों का दीदार किए बगैर राजस्थान का कोई ट्रिप पूरा नहीं हो सकता। बापू बाज़ार, जौहरी बाज़ार में लंहगों, जयपुरी रजाइयों, गहनों खासतौर से चांदी के गहनों की खरीदारी से जी भर जाए तो शहर से करीब 35 किलोमीटर बाहर बगरू चले आइये ब्लॉक प्रिंटेड चादरों वगैरह की खरीदारी के लिए।
खास- जयपुर में राजस्थानी भोजन का लुत्फ लिए बगैर लौटना कुफ्र है।
- चित्तौड़गढ़ का किला– राजपुताना शानो-शौकत और स्थापत्य कला की भव्य अभिव्यक्ति है चित्तौड़ का किला जो आज युनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज है और एक समय में मेवाड़ की राजधानी भी रह चुका है। महारानी पद्मिनी के जौहर से जुड़ी यशोगाथा ने किले को इतिहास में खास नाम दिलाया है।
ज्यादा जानकारी के लिए Rajasthan Tourism टटोलें और मनमाफिक दिशा में निकल पड़ें। सत्कार प्रेमी राजस्थानी आपको घर से दूर भी घर की कमी महसूस नहीं होने देंगे।
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आभार आपका, ब्लॉग तक आने और इस पोस्ट को पढ़ने के लिए।