
काज़ा (https://en.wikipedia.org/wiki/Kaza,_Himachal_Pradesh) से 14 किलोमीटर दूर लांग्ज़ा गांव की ढलानों पर छोटे बच्चों ने मुझे घेर लिया था। उन नन्हें हाथों में शालिग्राम ठुंसे थे जिन्हें वो औने-पौने दाम में पर्यटकों को बेचते रहते हैं। भूविज्ञान (Geology) में ये जीवाश्म (Fossils) हैं और आस्था ने उन्हें विष्णु के प्रतीक बना दिया है। खरीदूं या न खरीदूं की उहापोह से गुजरती रही थी, अंडमान के कोरल याद आए जिन्हें वहां के टापुओं से उठाकर ले जाना एकदम वर्जित है। पोर्टब्लेयर के अड्डे पर बाकायदा तलाशी होती है और पकड़े जाने पर बड़ा हर्जाना भी चुकाना पड़ता है। तो क्या स्पीति की मिट्टी में दबे-छिपे इन खास बनावट वाले पत्थरों को ले जाना भी गलत होगा?
वर्जनाओं को धता बताने में कभी-कभी आनंद की अनुभूति होती है और उसी आनंद को महसूस करने के लिए दो शालिग्राम ले आयी हूं। और यह आनंद एकतरफा नहीं था। नोर्बू और सोनम के नाक चुहाते चेहरों पर भी इसकी छाप देखी थी मैंने। हालांकि यह चिंता भी कहीं न कहीं जागी थी कि समुद्रतट से 4400 मीटर ऊपर बसे लांग्ज़ा के उन नन्हें बाशिन्दों ने सैलानियों के पदचिह्नों की आहट को अभी से पढ़ना शुरू कर दिया है…
शालिग्राम बेचते इन मासूमों की याद इस तस्वीर में जमा है

काज़ा से आप चले आते हैं करीब 20 किलोमीटी का फासला लांघते हुए समुद्रतल से लगभग 4400 मीटर पर बसे लांग्ज़ा गांव तक। और दूर से ही गांव की निगहबानी करते बुद्ध आपकी थकान को यों हर लेते हैं। कभी—कभी लगता है जैसे बुद्ध ही तो हैं जो सामने की चोटियों पर जमा ग्लेशियरों को अपनी एकाग्रता से थामे हुए हैं।
बर्फ की मोटी परतों के पिघलने के बाद गर्मियों में इस पूरी घाटी में हरेपन की एक चादर बिछ जाती है। रबड़ के बूट चढ़ाए स्पीतियन बच्चे इस घाटी में चारों तरफ फूल से बिखर जाते हैं, नज़दीक ही उनका प्राइमरी स्कूल है मगर उस रोज़ रविवार की छुट्टी थी और उनकी धमाचौकड़ी से पूरी घाटी गुलज़ार थी।
स्पीति में सफर के लिए जरूरी हैं इन बातों का ख्याल
- गर्मियों में इस बर्फीली गुफा के खुल जाने के बाद सफर करना आसान होता है, दिन का तापमान 10- 30 डिग्री सेल्सियस और रात में 4 – 5 डिग्री सेल्सियस और 1 डिग्री सेल्सियस तक भी गिर सकता है
- हालांकि यह रेन शैडो इलाका है मगर अब जलवायु परिवर्तन/ग्लोबल वार्मिंग के चलते हल्की—फुल्की बारिश मानसून में होने लगी है
- वूलन में एकाध स्वैटर/हल्की जैकेट काफी है। सिर ढकने के लिए हैट, तीखी धूप से बचाव के लिए सनस्क्रीन, शुष्क मौसम में त्वचा की देखभाल के लिए मायश्चराइज़र का इस्तेमाल करें
कहां ठहरा जा सकता है (स्टे)
काज़ा में ढेरों होम स्टे और कुछ होटल हैं। हम काज़ा से करीब 8 किलोमीटर दूर ग्रैंड देवाचेन, रंगरीक (http://www.dewachenretreats.com/hotel_grand_dewachen_kaza.php) में रुके थे जो स्पीति का लग्ज़री होटल है।
हालांकि स्पीति में काज़ा के आसपास के गांवों में होम स्टे की भी व्यवस्था है। यहां तक कि लांग्ज़ा में भी होम स्टे उपलब्ध हैं। इनमें ठहरने का एक बड़ा फायदा है स्पीतियन जीवन को करीब से देखने का बेहतरीन अवसर मिलना। अगर आप भी होम स्टे का विकल्प चुनना चाहते हैं तो एनजीओ इकोस्फीयर (http://www.spitiecosphere.com/) से संपर्क कर सकते हैं।