गैंगटोक – एक शहर जिसकी सड़क भी करती हैं बातें
नॉर्थ ईस्ट के यकीनन सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है सिक्किम। इसलिए नहीं कि वहां सरकारी स्वच्छता अभियान जोर-शोर से चलता है, बल्कि इसलिए कि लोगों को अपने शहर से प्यार है, उस पर फख्र है। वरना इन ग्राफिति के मायने क्या हो सकते हैं? कमर्शियल? बिल्कुल नहीं!
एक लोकल दोस्त ने बताया कि इस ग्राफिति को हाल ही में विंटर कार्निवल के दौरान किसी जर्मन टूरिस्ट ने बनाया है। सड़क पार करने के लिए एम जी रोड से कुछ पहले बने ओवरहैड ब्रिज की दीवार आपको इस ग्राफिति तक ले आती है। आसपास की इमारतें एकदम साधारण हैं, ब्रिज पर चढ़ती सीढ़ियां भी इतनी आम कि कहीं पता नहीं देती कि उन्हें लांघने के बाद आपको आराम फरमाते बुद्ध का ऐसा दीदार होगा!
शहर की मुख्य सड़क एम जी रोड को पार करते ही बुद्धा आपसे कुछ इस तरह से मिलते हैं। सिक्किम में वो मेरा पहला दिन था और दीवार पर परम शांत-सौम्य मुद्रा में दिखे बुद्धा जैसे कह रहे थे कि अगले कुछ दिन परम शांति में बीतेंगे।
और एम जी रोड की दुकानों को टटोलते हमारे कदम जब रुकते हैं, नज़रें किसी दूसरे कोण पर घूमती हैं तो सड़क के दोनों तरफ की दुकानों के विभाजक के तौर पर बीच में बने पेडेस्ट्रियन वे पर पेड़ों का नज़ारा भी आम से अलग ही होता है –
हमें सिक्किम टूरिज़्म डेवलपमेंट कार्पोरेशन के सूचना केंद्र जाना था। आगे की यात्राओं की योजनाएं तो यहीं तैयार होनी थी। काम पूरा हुआ, ट्रैवल पैकेज की जानकारियां बटोरी और हम फिर सड़क पर थे। इस बार ट्रैफिक की भागमभाग के बीच सजी इस वॉल पेंटिंग को देखकर अटक गए …..
अगला पड़ाव सिक्किम का पुराना राजमहल था। और उसी के नज़दीक असेंबली देखने की सिफारिश भी हमारे लोकल दोस्त कर चुके थे। रिमझिम बारिश में भीगते-भागते एमजी रोड पार कर नामनांग रोड होते हुए सिक्किम असेंबली तक पहुंचे। यहां ठिठकना लाज़िम था। इतनी खूबसूरत इमारत और बौद्ध धर्म के आठ शुभ प्रतीकों से घिरे इस ठिकाने का ऐलान करता ऐसा वॉल बोर्ड किसे नहीं लुभाएगा।
ट्रैफिक से लेकर साफ-सफाई तक, पब्लिक स्पेस पर तमीज़ से लेकर शहरभर में सज-धजकर दौड़ने वाली टैक्सियों को देखकर हम दिल्ली वाले तो शरमा ही जाएंगे। एक फोटो तो बनता है इस दीवार के बरक्स!
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