Beach tourism is saturated, hinterland Tourism in!
सूर्य, समंदर और सुरा के समीकरण से परे भी एक गोवा है, वही गोवा मेरी मंजिल है इस बार …

वास्को—डि—गामा ने जब पुर्तगाल से भारत तक का समुद्री मार्ग खोजा था तो इस पूरे दुस्साहसी सफर के पीछे मसालों की गंध थी। कई आम—खास मसालों की जन्मस्थली हिंदुस्तान से यूरोप का नाता पिछले 500 सालों में जाने किन—किन वजहों से बनता रहा है, लेकिन यह सच है कि मध्यकाल में काली मिर्च, लौंग, अदरक, इलायची, दालचीनी की गंध ने यूरोपीय सौदागरों को दीवाना बना दिया था। मसालों का साम्राज्य केरल से गोवा तक फैला है। और गोवा के पोंडा में सहकारी स्पाइस गार्डन में स्पाइस प्लांटेशन टूर आपको मसालों की दुनिया की एक मोहक तस्वीर दिखाता है।

पोंडा के इस मसाला बागान में लैमन ग्रास टी से स्वागत के साथ सफर शुरू हुआ और दुनिया के दूसरे सबसे मंहगे मसाले — वनीला की लताओं से होते हुए सुपारी के पेड़ों, काजू से फेनी बनने की प्रक्रिया, छोटी—बड़ी इलायची के पौधों, हल्दी की गांठों तक से गुजरते हुए दालचीनी, जायफल, जावित्री तक पहुंचा। गोवा में समुद्र तटों पर नमकीन हवा के अलावा मसालों की गंध भी समायी है, और पोंडा स्पाइस गार्डन की सैर कुछ ऐसा ही संदेश देती है।

मसालों से चाय तक का संसार भी है जो कम दिलचस्प नहीं होता !
गोवा में हेरिटेज होम्स का भी अद्भुत संसार है। मगर मैंने सिर्फ साधारण घरों को तलाशा इस बार ..

यैलो, पर्पल, सैफरन से लेकर ब्लू, ग्रीन, मैरून जैसे चटख रंगों से पुती घरों की बाहरी दीवार यह बयान कर देने को काफी कि गोवा का मूल बाशिन्दा भीतर से कितना उल्लास पसंद है।

हर घर बेशक कुछ कहता है मगर गोवा का हर घर कुछ गुनगुनाता है

कितना रंग भरा है गोवा के साधारण जन—जीवन में, इसका एक नमूना इस घर में साफ झलकता है

वार्का में एक सोयी—सोयी—सी सड़क मुझे इस घर तक ले आयी, हेरिटेज होम तो नहीं था ये मगर कुछ—कुछ उसी परंपरा को पोसता हुआ घर था। मैंने इस तस्वीर को उतारने के लिए मालिक से मंजूरी लेने की रस्म—अदायगी निभाते हुए डोर बैल तलाशनी चाही, मगर वो थी ही नहीं, लिहाजा दरवाजे को खटखटाकर काम चलाया। मालकिन ने एक भी न—नुकर के बगैर अपने घर की तस्वीर उतारने की इजाज़त क्या दी, मेरे तो पैर जमीन पर जैसे टिकना भूल चुके थे। एक के बाद एक कई तस्वीरें और अंत में ये पैनोरामिक शॉट .. गोवा आपके दिल—दिमाग पर इसी तरह छाता है!

समंदर में तैरते—तिरते जहाज़ तो कई बार देखे हैं मगर उनके बनने की प्रसव पीड़ा पहली बार देखी — वास्को स्थित गोवा शिपयार्ड में!

मस्ती और सुरूर गोवा की फितरत में है, टैटू से लेकर बालों की ब्रेडिंग तक की जाने कितनी ही मंजिलें हैं। हालांकि मानसून में न अंजुना का फ्ली मार्केट खुलता है और न सैटरडे नाइट बाज़ार, तो भी ऐसी हल्की—फुल्की शरारतों के लिए गोवा के बाज़ार में आर्टिस्ट मिल ही जाते हैं। कोल्वा बीच पर उस रोज़ पानी की लहरों ने सूनामी का सा कहर ढा रखा था, और मेरा डरपोक मन चुपचाप इस टैटू के लिए दौड़ पड़ा।

ज़रा मानसून बीत जाए, फिर देखना बाजारों में कैसे रौनक लौटती है ..

I enjoyed reading your most interesting “Capturing Goa beyond the beaches and shacks!” which took me on a virtual visit to Goa. I must confess that I have never been to Goa. After reading your piece, I am now looking forward to visit the enchanting Goa as early as possible.
Goa is a must visit destination and you should plan in rains, during X’Mas and Carnival, I have loved all three seasons and each one is distinct in its flavour! And if you are a film buff, you can coincide your Goa trip during India International Film Festival held in Nov.