Photo Essay on Kohima
स्कूल में जब पूर्वोत्तर की आठ बहनों के नाम रटने पड़ते थे तब नगालैंड—मणिपुर जैसे नाम किसी दूसरे ही लोक के मालूम होते थे! नहीं मालूम था कि एक दिन इन्हीें की गलियों-सड़कों से गुज़रना भी होगा। सड़क कहना गलत है वैसे, नगालैंड में गड्ढों के बीच सड़क का कोई टुकड़ा दिखता है तो उसे क्या कहते हैं, मुझे नहीं मालूम। एक रोबस्ट एसयूवी की सवारी इन सड़कों पर बड़े काम की साबित होती है। हालांकि दस दिन इन सड़कों पर दौड़ने के बाद अगले दस महीने आपकी पीठ और कमर आपको नॉर्थ ईस्ट की याद बदस्तूर दिलाती रहेगी!

बस, सड़कों को भूल जाएं तो नगालैंड में सब कुछ सुहाना है, सफर सुहाना, नज़ारे अद्भुत और यहां के ट्राइबल नगा, वो तो बस गज़ब ही होते हैं। एकदम ज़मीनी लोग, भोजन से लेकर रहन—सहन, संगीत—नृत्य, कबीलाई समाजों के बीच उनकी सीधी—सादी जीवनशैली और बीते दौर के हैड—हंटिंग के किस्से, सब कुछ लुभाते हैं।
लेकिन राजधानी कोहिमा कई धारणाओं को तोड़ती है! मसलन, यहां की सड़कों पर टहलकदमी करते युवाओं को देखकर आपको अपने शहरी होने के बोध पर ग्लानि भी हो सकती है! स्टाइलिश हेयरस्टाइल वाले युवक और फैशनपरस्त युवतियां अपने सौंदर्य और आकर्षण से आपको एक बार तो यह सोचने पर मजबूर कर ही देंगी कि मुंबई के बाद फैशन की अगली मंजिल कोहिमा ही तो नहीं!

आधुनिकता की बहार है कोहिमा में तो इतिहास को संजोकर रखने की संजीदा कोशिश भी। इस वॉर मेमोरियल में दूसरे महायुद्ध के दौरान शहीद हुए ब्रिटिश सेना के सिपाहियों की कब्रे हैं। सबसे कम उम्र का एक सैनिक यहां सोहल बरस की उम्र में शहीद हुआ था, और उसकी कब्र पर लगे पत्थर की इबारत पढ़कर आपकी आंखे जरूर नम हो आएंगी।

किसी मां का अपने मृत बेटे के नाम संदेश तो किसी पर एक पत्नी का अपने स्वर्गीय पति को भेजा बेहद मार्मिक संदेश आपको संजीदा बना देता है।
और पूरे नगालैंड के दर्जनों आदिवासी समुदायों की रवायतों को देखना—समझना हो तो कोहिमा में बने संग्रहालय की सैर जरूर कर लें।
नगालैंड में बरसों पहले दुश्मन की सिर कलम करने की रवायत थी, दुश्मन का सिर लेकर लौटना किसी चैंपियनशिप की ट्रॉफी लेकर लौटने जैसा होता है। हालांकि अब यह परंपरा यहां नहीं रही, तो भी इस पूरे इलाके में आप किसी से फालतू उलझना तो नहीं चाहेंगे, हैं न!

बांस और नगालैंड जैसे एक दूसरे के पर्याय हैं। हथियारों से लेकर घर तक, औजारों से लेकर बर्तन तक, बांस के बनाए जाते हैं।

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मुझ शाकाहारी के लिए कोहिमा का कीड़ा बाज़ार भी दर्शनीय पड़ाव था।

और ज़रा दो—दो हाथ हो जाए ..

और उत्सवों—उल्लास में डूबे रहने वाले नगा समाज का एक मिनी—कॉस्मॉस है हेरिटेज विलेज जो कोहिमा शहर से बाहर जखामा जाने वाली सड़क पर बनाया गया है।

ठेठ पारंपरिक नगा समाज ने आधुनिकता की आंधी का रुख मोड़े रखा है और फैशनेबल युवा बेशक स्मार्टफोन पर व्हट्सएॅप, फेसबुक में रमे दिखते हों लेकिन कुल—मिलाकर समाज का पूरा चेहरा आज भी पारंपरिक है।

Beautiful pics Alka ji! Indeed North East is the true fashion capital of India. I remember having bought a dress from Darjeeling once. When I initially wore it to office, my friends made faces however, after 2 months, it became the fashion rage in Delhi!
I am delighted to know that you have liked this post. North Eastern states are like jewels in the crown of the country and their isolation, I feel has been a blessing in disguise! These states have retained their unique identities and original flavor to a great extent.