थ्री इडियट्स ने लेह की पैंगॉन्ग लेक का नज़ारा क्या दिखाया कि तमाम टूरिस्ट अब लेह का रुख कर रहे हैं। अगर आपने अभी तक इस रैंचो लैंड को नहीं देखा है तो बस इस बार गर्मियों की हीट को बीट करने के लिए लद्दाख को अपनी सैर सपाटे की अगली मंजिल बना लें।
बौद्ध अनुयायियों की इस सरजमीं पर अध्यात्म भी है और एडवेंचर भी, प्राकृतिक नज़ारें भी हैं और हैरत में डालती बर्फानी पर्वत श्रृंखलाएं भी। खूबसूरत झीलों और एक से एक ऊंचे, डरावने दर्रों का संसार भी है यहां। सर्पीली घुमावदार सड़कों तक का पूरा मायाजाल है इस प्रदेश में जो एक ओर हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे से जोड़ता है तो जोजिला (दर्रे) से होते हुए कश्मीर की हसीन वादियों से भी संपर्क बनाता है। और खारदूंग-ला की 5602 मी की ऊंचाई पर बनी सड़क सैलानियों को दुनिया की सबसे ऊंची सड़क से गुजरने का मौका देती है। यही राह आगे नुब्रा वैली होते हुए पाक अधिकृत कश्मीर तक और सियाचिन ग्लेशियर तक बढ़ जाती है।
लद्दाख में जगह-जगह मठ, गोम्पा, छॉरतेन दिखायी देते हैं जो पूरे परिदृश्य को एक खास अध्यात्मिक रंग देते हैं। और पहाड़ों की बुलंदियों, ढलानों, ऊंचाइयों पर स्थित ये मठ जैसे सीधे ईश्वर से संवाद करते जान पड़ते हैं।

प्रकृति में अद्भुत सौंदर्य होता है, लेकिन लद्दाख में प्रकृति अचरज में डालती है।
