जहां बादल बिछुड़े हुए प्रेमियों की तरह आंसू बहा रहे हैं
बेशक, दिल्ली समेत उत्तर भारत के ज्यादातर भागों में मानसूनी फुहारों की लुकाछिपी ने निराशा पैदा की है, लेकिन दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश का मज़ा लूटने वाले चेरापूंजी में हमेशा की तरह बरसात का नृत्य जारी है। आपको जानकर अचरज होगा कि चेरापूंजी में हर साल करीब 12,500 मिमी बारिश होती है (एक बेचारी राजधानी दिल्ली है जहां कुल औसतन 714 मिमी वर्षा होती है!)। खासी जनजातीय संस्कृति और साहित्य का गढ़ माना जाने वाला चेरापूंजी मेघालय आने वाले सैलानियों के लिए ‘मस्ट विजि़ट‘ की सूची में है।
पिछले दिनों चेरापूंजी ने अपना खिताब अपने नज़दीकी के इलाके (पश्चिम में करीब 9 किमी और शिलॉन्ग से लगभग 56 किमी की दूरी पर स्थित) मॉसिनराम को सौंप दिया है जहां मौसम विज्ञानियों के मुताबिक सालाना 13,00 मिमी से अधिक औसत वर्षा दर्ज की गई है। चेरापूंजी को शायद इस तकनीकी बारीकी से कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि सैलानियों के यहां आने और बारिश से भीगी जमीन, वनस्पति का लुत्फ उठाने का सिलसिला पहले की ही तरह जारी है। उमड़ते घुमड़ते बादल और टुपुर टापुर बारिश के नज़ारे, भीगती छतें, पानी से नहायी सड़कें, धुले धुले से पेड़ पौधे और प्रकृति के इस अद्भुत वरदान का आनंद लेते लोग यहां दिनभर दिख जाते हैं।
भारत के स्कॉटलैंड के नाम से मशहूर मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 56 किमी दूर स्थित चेरापूंजी (अब इसे खासी नाम ‘सोहरा‘ से अधिक जाना जाता है) पहुंचना बहुत ही आसान है। शिलांग से बस या टैक्सी लेकर यहां महज़ 1.5 से 2 घंटे में पहुंचा जा सकता है। अच्छा होगा शिलांग के पुलिस बाज़ार या पोलो बाज़ार से आप दिन भर के लिए टैक्सी कर लें (1000-1200 रु)। चेरापूंजी तक के रास्ते में आपको मिलेंगे प्रकृति के कितने ही खूबसूरत नज़ारे। मेघों के इस देश को झरनों का देश भी कहा जा सकता है।
साल के लगभग अधिकांश महीनों में कभी चुपचाप तो कभी मूसलाधार, कभी कई-कई दिन बेरोकटोक जारी रहने वाली बारिश ने इस राज्य को हरियाली की एक आकर्षक चादर में लपेटने के साथ साथ इसे ढेरों झरनों की सौगात भी दी है।

चेरापूंजी में आप देख सकते हैं नोहकिलिकाई (http://en.wikipedia.org/wiki/Nohkalikai_Falls) जल प्रपात जो राज्य का सबसे ऊंचाई पर स्थित जल प्रपात है। इसकी खूबसूरती को शब्दों में बांध नहीं जा सकता। नोहकिलिकाई जल-प्रपात के साथ बड़ी ही मार्मिक कथा जुड़ी है। बहुत समय पहले की बात है। एक महिला के दूसरे पति को उसकी संतान से बड़ी चिढ़ थी। एक रोज़ जब वह महिला बाहर कहीं काम के लिए गई थी तो पति ने इस बच्ची को काटकर उसे पका डाला। महिला के घर लौटने पर पति ने उसकी ही औलाद का मांस उसे खिला दिया । कुछ समय बाद बच्ची को घर में न पाकर मां ने उसके बारे में पति से पूछा तो उसने टका-सा जवाब दिया कि उसे तो वह खा चुकी है। बेटी की मौत के गम और पश्चाताप की आग में सिसकती उस औरत ने आव देखा न ताव और घर से बाहर निकलकर एक ऊंची पहाड़ी से कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी। इसी स्थान पर नोहकिलिकाई जल प्रपात है।

मेघालय में जब बारिश नहीं गिरती तब बादलों की लुका छिपी को देख जा सकता है। बादल यहां हमेशा अठखेलियां करते हैं। कहते हैं यहां का मौसम तमाम पूर्वानुमानों को धत बताते हुए हर पल शरारत के मूड में रहता है। अभी धूप खिली है और अगले ही क्षण फुहारें पूरे शहर को रंग बिरंगी छतरियों से ढक देती हैं । आसमान पर बादलों की मोट परत चढ़ी हो, बारिश हो कि उसे देखकर आप कहें कि अब यह कभी रुकेगी ही नहीं, लेकिन अगले ही पल सब कुछ सामान्य हो जाता है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था । हमारे टैक्सी ड्राइवर का बयान संभवतः मेघालय के मौसम को सबसे सटीक अंदाज़ में बताता है।
उसका कहना था, यहां बादल कभी चुपचाप रोते रहते हैं, ठीक उस तरह जैसे दो बिछुड़े प्रेमियों का दिल रोता है, और वे घंटो आंसू बहाते रह सकते हैं। फिर कभी क्रोध में होते हैं तो जैसे पूरी दुनिया को ही बहा डालने का संकल्प लेकर बरस पड़ते हैं, और वही बादल करवट बदलने की सहजता के साथ ही अपना मूड भी कब बदल लें, कोई नहीं जानता।
बारिश प्रेमियों के साथ साथ मेघालय उन पर्यटकों के लिए भी दिलचस्प है जिन्हें वनस्पति विज्ञान में रुचि है। वनस्पति की दुनिया का चमत्कार कहलाने वाला ‘पिचर प्लांट‘ खासी/जैंतिया पहाडि़यों पर उगता है। मांस भक्षी यह पौधा प्रयोगशालाओं और किताबों से बाहर यहां सजीव रूप में मिलता है। उस पर ऑर्किड की ढेरों किस्में भी यहां सहज उपलब्ध हैं।

कब आएं, कैसे आएं : मेघालय में सैर सपाटे के लिहाज से अक्टूबर से मई तक का समय सबसे उपयुक्त है। जून से अक्टूबर तक बारिश का मौसम रहता है।
कपड़े : ऊनी वस्त्रों से ही काम चल सकता है। जैकेट, टोपी, दस्ताने आदि जरूर रखें।
याद रखें : बारिश यहां की खासियत है, इसलिए अपने साथ छतरी/रेनकोट अवश्य रख लें। वैसे स्थानीय बाजारों में भी ये आसानी से मिल जाते हैं (मोल-भाव जरूर करें)।
ये तो सिर्फ बानगी भर है, पूरे राज्य में ढेरों नज़ारे आपकी बाट जोह रहे हैं।
Beautiful captures